दुनिया की भीड़ में क्यों खो रहा
मिलेगा कुछ भी न फल जो बो रहा
तू आजा घर लौट आ
आ बेटे घर लौट आ
मे ढूँढू उस भेड़ को जो खो गयी
गुनाहों की जेल में बंद हो गयी
गुनाहों में था अब तलक , तू जो धसा
मकडी के जाल मे था जो फ़सा
तू आँखे आब खोल कर सब जाँच ले
तू सच और झूट को अब माप ले
तू आजा घर लौट आ