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सूरह यूसुफ़ पढ़ कर लगता है कि सगे सम्बन्धी ह़सद (ईर्ष्या) कर सकते हैं, अपने मार सकते हैं, ग़ैर बचा सकते हैं, परहेज़गार पर तोहमत (आरोप) लगाया जा सकता है, बिना जुर्म के क़ैद हो सकती है, ग़ैबी मदद से बर'अत (बरी) मिल सकती है, ज़ुल्म सह कर अज़ीम मनसब मिल सकता है, तक़वा से इज़्ज़त मिल सकती है, अज़ीज़ जुदा हो सकता है और हिज्र काटा जा सकता है, बिछड़ा मिल सकता है और हर ख़्वाब पूरा हो सकता है, क़ुरआन की इस सूरह में क्या कशिश है, कैसा खिंचाव है, कैसा दिलकश असलूब-ए-बयान है, क्या फ़साह़त व बलाग़त, कितनी तसल्ली कितना सबक़ है, कैसी नसीहतें हैं और कितनी उम्मीदें है।
“बे-शक हर मुश्किल के बाद आसानी है.” (क़ुरआन)
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In the following link, a video uplaoded by my seveth grade student Umme Aiman. Please watch and like video, also subscribe to the channel for more interesting videos.
https://youtu.be/QiFc1esTXDQ
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لائے تشریف دنیا میں خیرالوریٰ
حق و باطل ہوا آمنے سامنے
Laye Tashreef Duniya Mein Khairul Wara
Haq O Baatil Hua Aamne Saamne
*YouTube Link* :
https://youtu.be/FmCpyBw3PTw
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