श्री वितक रस हिम्मतनगर
21 videos • 8,886 views • by Ami Babaria निजनम श्री कृष्ण जी, अनादि अक्षरातीत । सो तो अब जाहेर भए, सब विध वतन सहित ।।१।। श्री श्यामाजी वर सत्य है, सदा सत सुख के दातार । विनती एक जो वल्लभा, मो अंगना की अविधार ।।२।। वाणी मेरे पियु की, न्यारी जो संसार । निराकार के पार थे, तिन पार के भी पार ।।३।। अंग उत्कंठा उपजी, मेरे करना एही विचार । ए सत वाणी मथ के, लेउ जो इन को सार ।।४।। इन सार में कई सत सुख, सो में निरने करूँ निरधार । ए सुख देउ ब्रह्मसृष्टि को, तो में अंगना नार ।।५।। जब ए सुख अंगमे आवही, तब छूट जाए विकार । आयो आनंद अखंड घर को, श्री अक्षरातीत भरतार ।।६।।