प्रकृति ही है जो इस ज़िंदगी में बिना स्वार्थ के होती हैं,
वरना इंसान तो अपने स्वार्थ के लिए अपनों तक को नहीं छोड़ता।
It is only nature that is selfless in this life, otherwise a human being does not spare even his own people for his own selfishness.